होली आयी रे कन्हाई
रंग छलके
सुना दे ज़रा बांसरी
बरसे गुलाल रंग मोरे अंगनवा
अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा
… हो देखो नाचे मोरा मनवा
तोरे कारन घर से आई हूँ निकल के
सुना दे ज़रा बांसरी
होली आयी रे…
छूटे ना रंग ऐसी रंग दे चुनरिया
धोबनिया धोये चाहे सारी उमरिया
… हो मन को रंग देगा साँवरिया
मोहे भाये ना हरजाई रंग हलके
सुना दे ज़रा बांसरी
होली आयी रे…
लकड़ी जल कोयला भई
और कोयला जल भयो राख
मैं पापन ऐसी जली
ना कोयला भई, ना राख
होली घर आई तू भी आजा मुरारी
मन ही मन राधा रोये बिरहा की मारी
… हो नहीं मारो पिचकारी
काहे छोड़ी रे कलाई संग चल के
सुना दे ज़रा बांसरी
होली आई रे…